शनिवार, ८ ऑक्टोबर, २०१६

डाकिया (पोस्टमन )

            डाकिया (पोस्टमन )
डाकिया डाक लाया ,डाकिया डाक लाया ,
मामा का मनीऑर्डर आया ,अम्माने राखी का तोहफा पाया ,
दूर गांव से काका का अंतर्देशीय आया ,दादी को कितनी बार पढ सुनाया ,
तार देख टेन्शन आया ,पर जिजी -जीजू के आनेका संदेसा था पाया ,
लिफाफा देख भैय्या दौडा आया ,उसमें भाभीका दिल था समाया ,
रजिस्टर लेने बाबा को बुलाया ,हेड ऑफिस से प्रमोशन का संदेश था आया ,
पोस्टकार्ड साथी सुख -दुःख का ,ना कुछ अंदर ,ना कुछ बाहर ,कितना खुला दिल पाया !!
देखते ही देखते पोस्टमन की जगह ई -डाकियेका राज आया ,सुविधा की वजह से इसेभी अपनाया ,
बढते रहने का नाम जिंदगी है ,पर दिल अब भी घर आनेवाले डाकियेको ना भूल पाया .

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