मंगळवार, ८ ऑगस्ट, २०१७

मेघ कुंभ

                   मेघ  कुंभ 
काळे -करडे ,लाल -केशरी ,पांढुरके मेघ कलश भरूनि ओसंडती अंबरी ,
जणू धरणी वरती ,सडा शिंपडी ,न्हाऊन नटलेली नाजुक नारी ,
जल -मृत्तिकेच्या महामिलनाने ,सुरभित ,रंगित झाली धरणी सारी ,
हरित छटांच्या ,मऊ पोतावर ,वेलबुट्टीची सुंदर विणकारी ,
मधूनच चमके ,सोनेरी किरणांची भरजरी किनारी ,
मिलन मंडपाची कमान सजविण्या ,इंद्रधनूची लगबग न्यारी ,
दिन -रजनी ,सागर -सरिता ,धरणी -आकाश ,आदि -इति चे मिलन तर ,शिव -शक्तीची रूपे सारी ,
निसर्ग सोहळा पाहुनि ,हर्षित झाले ,पंचतत्वातील अणू -रेणू ,जल -थल -नभचर ,सकल नर -नारी .

शुक्रवार, ४ ऑगस्ट, २०१७

होरी

                     होरी 
होरी आई जी ,देखो होरी आई ..... 
गिले -सुखे रंगो की होनेदो  दिलसे दिल की जमाई ,
साल और महिनोंकी ,करनी होगी खुशी -खुशी बिदाई ,
इसी बिदाई से जनमेगी ,नये साल की नई बधाई ,
प्रीत की एक अनोखी रीत ,फागुन ने सिखलाई ,
गोरी रंग गई श्याम रंग में ,अखियोंको दुजा रंग ना दे ,कोई दिखाई !!
राधा कहे -तेरा तुझको अर्पण ,अपनालो  हरदम के लिये  मेरे श्याम कन्हाई !!