दान -स्वाभिमान
दान -स्वाभिमान
इन्सान हैसियत से ज्यादा ,जरूरतमंद की करे मदद तो वो हुई दानत ,
लेनेवाला भी हो स्वाभिमानी ,जरुरत से ज्यादा कभीभी ना ले किसीकी मदत ,
जीना मुश्कील होगा अगर घोडा घास सेही करले दोस्ती ,
दुनियादारी में कभी तो लेनाही पडता है दुसरेका सहारा ,चाहे छोटी हो या बडी हस्ती ,
आधा निवाला किसीको देकर ,चाखि है कभी जीवन की मस्ती ?
कमसेकम दूसरोको उजाडकर ,ना बसाए कोई अपनी बस्ती .
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