अंतःचक्षु -विपश्यना
मनकी आँखें खोल शरीरा ,मनकी आँखें खोल ,
सोवत -जागत देख शरीरा ,जीवन है अनमोल ,
सुख में ना जा फूल तू ,दुःख में कटू ना बोल ,
जड -चेतन सब अनित्य है ,समता से तू तौल .....
ताले में क्यों रखत है तू ,सत्कर्मोका मोल ....
चाबी तेरे पास है ,खर्चा कर दिल खोल तू ,खर्चा कर दिलखोल .
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