सोमवार, २९ ऑगस्ट, २०१६

. . विपश्यना -समापना दिन अनुभव कथन

.             . विपश्यना -समापना दिन अनुभव कथन 
विपश्यना विश्वविद्यालय के कारण ,'इगतपुरी 'का बढा मानसम्मान ,
श्री गोएंका गुरुजीका सहज सुंदर प्रेरणादायी व्याख्यान ,
विद्या -वृक्ष को सिंचता ,उत्तम व्यवस्थापन ,नियमपालन ,समर्पित सेवा और दानवीरों का दान ,
प्राकृतिक -सुंदर -स्वच्छ वातावरण ,सात्विक -संतुलित -संयमित खानपान ,
अमीर -गरीब ,युवा -वृद्ध ,देसी -परदेसी ,नर -नारी आते ,बटोरनेको ज्ञान ,
मनसे अपनाना है संवेदन अनुभूति ,आना पान यानेकी श्वास -उश्वास और ध्यान ,
विपश्यना यानी स्वतः को अंतर्मुख होकर अचूक देखना ,दिखलाती मुक्ती मार्ग महान ,
शरीर -मन -वाणी के मौनको कहते हैं आर्यमौन क्या वर्णन क्या गुणगान ,
साधना का आनंद अनुठा ,सुझाव देनातो जैसे ,सूरजको दिया दिखाने समान !!!!  

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