रविवार, १६ ऑगस्ट, २०२०

अग्निपरीक्षा

अग्निपरीक्षा 

आज अचानक , एक विषाणू ,बन खडा भस्मासुर ,

सारी दुनिया अलग अलग वजहोसे चिंतातुर ,

हरपल मर मरकर ना जी ,उभर डर से उपर ,

असुर तो आते जाते ही रहेंगे ,रूप बदल बदल कर ,

कोरोना से डरोना ,लडना होगा मानवता को यम -नियमोका पालन कर ,

मुश्कील घडी ही सिखलाती  हमको पितल -सोने में अंतर ,

स्वीकृती -संस्कृती—स्वाभिमान -अस्तित्व की करनी होगी रक्षा ,अग्नि परिक्षा देकर ,

बहुतेरे कह गये संकट को समझो एक सुनहरा अवसर ,

होनाही होगा हम सबको , परिश्रम पूर्वक आत्म निर्भर ,

ए जिंदगी,कुछ अच्छा कर गुजर , जीवन हो जाए सदा के लिये अमर ,

“वसुधैव कुटुम्बकम “का मंत्र हो  हम सबकी जिव्हा पर . 

                आसावरी जोशी

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