बुधवार, २९ मार्च, २०१७

दर्द

             दर्द 
दर्द की बाढ कभी ,अखियों के बांध तोडकर है बहती ,
दिलकी पीडा कभी ,मुंह के द्वार से है आग उगलती ,
कभी गुस्सा बनकर ,म्यानसे तलवार है निकलती ,
दर्द को ना मिले  रास्ता ,तो मुश्किल हो जाता है जीना ,
दूसरोंसे छुपाना हो ,किसीको ना बताना हो ,तो सीखना पडता है ,दर्द पीना ,
ए दिल !अपने दर्द को ना ही मजाक बनने देना ,और ना ही गैर जीम्मेदारी का बहाना ,
किसीके दर्द की दवा बन सको ,कागज पर चितार सको ,बिखरे शब्दोको गितोंमें ,सुरो में पिरो सको तो क्या कहना !!
दिल में बंद दर्द की पसंदीदा जगह करो तबदिली ,कुछ सीखो ,कुछ सिखाओ ,रोते हुए को हंसाना . 

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